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भारत में Shiksha और उसकी व्यवस्था

  परिचय:-  Shiksha किसी भी देश के विकास में सहायता प्रदान करता है साथ ही शिक्षा किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि मैं भी योगदान देता है। मानव पूंजी के निर्माण में भी शिक्षा का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है शिक्षा के माध्यम से ही मानव पूंजी का निर्माण किया जा सकता है जिससे कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का अच्छे तरीके से विकास किया जा सकता है। भारत में शिक्षा का क्षेत्र:-  भारत में सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जो भी खर्चा किया जाता है उस खर्चे को हम दो तरीके से समझ सकते हैं:-  कुल सरकारी खर्च के प्रतिशत के रूप में:-  इसका अभिप्राय यह है कि सरकार अपनी कुल खर्चे का कितना प्रतिशत भाग शिक्षा के ऊपर खर्च करती है, इससे हमें ये भी पता चलता है कि सरकार किस तरीके से शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी काम कर रही है। 1952 से 2014 के दौरान सरकार द्वारा शिक्षा पर किए जाने वाले खर्चे का प्रतिशत 7.92 से  15.7 तक हो गया। सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में:-  इसका अभिप्राय है कि सरकार अपनी GDP का कितना प्रतिशत भाग शिक्षा पर खर्च करती है। 1952 से 2014 के दौरान यह 0.64% से 4.13% तक बढ़ गया

Sangya किसे कहते हैं और इसके कितने प्रकार है?

  परिचय:-  सबसे पहले Sangya के बारे में पढ़ने से पहले हमें यह जानने की आवश्यकता है कि हिंदी व्याकरण में संज्ञा का क्या महत्व है? जिस तरीके से हम व्यक्तियों के नाम रखते हैं जिससे उनकी पहचान की जाए ठीक उसी तरह संज्ञा भी हिंदी में नाम के लिए आई है , क्योंकि नाम एक संज्ञा ही है। संज्ञा किसे कहते हैं?  किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव के नाम को संज्ञा कहा जाता है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि नाम को ही संज्ञा कहा जाता है। संज्ञा से संबंधित उदाहरण:-  दिल्ली भारत की राजधानी है। घड़ी हमें समय दिखाती है। बचपन की मित्रता कौन भूल सकता है। शंकर स्वभाव से दयालु है। गाय का दूध मीठा होता है। संज्ञा के कितने भेद होते हैं? संज्ञा के मुख्य रूप से तीन भेद है:- व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, स्थान के भाव का बोध कराते हैं उन्हें हम व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:- राम, आगरा, हिमालय, रामायण, गंगा आदि यह सभी व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? किसी वर्ग या समूह का बोध करान

बेरोजगारी किसे कहते हैं और इसके कारण क्या है?

  Berojgari एक बहुत बड़ी समस्या है जो हर देश में पाई जाती है। कई सारे ऐसे देश हैं जिन्हें बेरोजगारी की वजह से कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बेरोजगारी की वजह से बहुत से देशों के अर्थव्यवस्था का विकास भी नहीं हो पाता है। Berojgari किसे कहते हैं? बेरोजगार से अभिप्राय एक ऐसी परिस्थिति से है जब एक व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए इच्छुक होता है एवं वह उस कार्य को एक निश्चित मजदूरी दर पर करने के लिए तैयार होता है परंतु फिर भी उसे किसी भी प्रकार का रोजगार उपलब्ध नहीं होता है तो हम ऐसे व्यक्ति को बेरोजगार कहते हैं। क्या भारत में बेरोजगारी अस्थाई है? बेरोजगारी किसी भी देश के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या मानी जाती है परंतु अगर हम भारत की बात करें तो भारत में भी बेरोजगारी काफी लंबे समय तक नहीं रहती है। इसका मुख्य कारण यह है कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो रोजगार की तलाश में कई सारे कार्य को करने के लिए मजबूर होते हैं।  वह कार्य काफी ज्यादा खतरनाक भी हो सकता है एवं वह कार्य ऐसे भी हो सकते है जिससे उनके स्वास्थ्य को भी खतरा हो सकता है फिर भी वह लोग बेरोजगारी से बचने के लिए उन सभी कार्य को कर

What is Excess Demand and it's related concept

  We know that Equilibrium level of income and employment is determined when AD curves intersects the AS curve. If the equilibrium level exceeds the full employment level, then there is Excess Demand in the economy. However if Equilibrium level falls short of full employment level, then it is a situation of Deficient Demand.  According to Keynes :-  The Equilibrium level of employment may or may not be the full employment level. It means Equilibrium level may exceed or fall short of full employment level. What is Excess Demand? Excess demand refers to the situation when aggregate demand is more than the aggregate supply corresponding to full employment level of output in the economy.  It is the excess of anticipated expenditure over the value of full employment output . What is Inflationary Gap? Inflationary Gap refers to the gap by which actual aggregate demand exceeds the aggregate demand required to establish full employment Equilibrium. Excess demand gives rise to an inflationary g