Berojgari एक बहुत बड़ी समस्या है जो हर देश में पाई जाती है। कई सारे ऐसे देश हैं जिन्हें बेरोजगारी की वजह से कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बेरोजगारी की वजह से बहुत से देशों के अर्थव्यवस्था का विकास भी नहीं हो पाता है।
Berojgari किसे कहते हैं?
बेरोजगार से अभिप्राय एक ऐसी परिस्थिति से है जब एक व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए इच्छुक होता है एवं वह उस कार्य को एक निश्चित मजदूरी दर पर करने के लिए तैयार होता है परंतु फिर भी उसे किसी भी प्रकार का रोजगार उपलब्ध नहीं होता है तो हम ऐसे व्यक्ति को बेरोजगार कहते हैं।
क्या भारत में बेरोजगारी अस्थाई है?
बेरोजगारी किसी भी देश के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या मानी जाती है परंतु अगर हम भारत की बात करें तो भारत में भी बेरोजगारी काफी लंबे समय तक नहीं रहती है। इसका मुख्य कारण यह है कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो रोजगार की तलाश में कई सारे कार्य को करने के लिए मजबूर होते हैं।
वह कार्य काफी ज्यादा खतरनाक भी हो सकता है एवं वह कार्य ऐसे भी हो सकते है जिससे उनके स्वास्थ्य को भी खतरा हो सकता है फिर भी वह लोग बेरोजगारी से बचने के लिए उन सभी कार्य को करते हैं।
भारत में बेरोजगारी से संबंधित आंकड़ों को प्राप्त करने के स्रोत क्या है?
भारत में बेरोजगारी से संबंधित आंकड़े प्राप्त करने के लिए मुख्य रूप से तीन स्रोत हैं जिनके माध्यम से हम बेरोजगारी से संबंधित सभी प्रकार के आंकड़े प्राप्त कर पाते हैं:-
Report of Census of India:- पापुलेशन सेंसस लोगों द्वारा किए जाने वाली सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाओं से संबंधित जानकारी को इकट्ठा करता है।
National Sample Survey Organisation:- NSSO पूरे देश भर में कई सारे सर्वे करता है जिसके माध्यम से पूरे साल में बेरोजगार एवं रोजगार दोनों से संबंधित सभी व्यक्तियों के आंकड़ों को एकत्रित करता है।
Directorate General of Employment and Training:- DGET लगभग 30 सालों से एंप्लॉयमेंट मार्केट इंफॉर्मेशन स्कीम चला रहा है जिसके माध्यम से कई सारी जानकारियां इकट्ठा करता है जैसे- रोजगार के ढांचे की जानकारी या फिर सभी प्रकार की Employees की शिक्षा से संबंधित जानकारियां।
भारत में बेरोजगारी कितने प्रकार की हैं?
भारत में बेरोजगारी मुख्य रूप से तीन प्रकार की पाई जाती हैं:-
छुपी हुई बेरोजगारी।
मौसमी बेरोजगारी।
खुली हुई बेरोजगारी।
Chupi Berojgari किसे कहते हैं?
छिपी हुई बेरोजगारी से अभिप्राय ऐसी स्थिति से है जब किसी कार्य को करने के लिए वास्तव में जितने लोगों की आवश्यकता होती है उससे अधिक लोग जब किसी कार्य को करते हैं अथवा उस कार्य को करने में लगे होते हैं तो उसे हम छिपी बेरोजगारी कहते हैं।
छिपी हुई बेरोजगारी मुख्य रूप से भारत में कृषि के क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिलती है।
1950 के दशक में लगभग एक तिहाई ऐसे लोग थे जो कृषि क्षेत्र में छुपी हुई बेरोजगारी के रूप में कार्य कर रहे थे।
Prachan berojgari की मुख्य समस्या यह है कि स्पष्ट रूप से सभी को रोजगार मिल रहा है लेकिन अधिशेष श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य है जो अतिरिक्त कार्य बल का योगदान शून्य है।
Mausami Berojgari किसे कहते हैं?
मौसमी बेरोजगारी से अभिप्राय एक ऐसी परिस्थिति से है जब किसी व्यक्ति को एक साल के अंदर रोजगार की प्राप्ति काफी कम समय के लिए होती है अथवा उस व्यक्ति को रोजगार मौसम के अनुसार मिलता है। उस विशेष मौसम के चले जाने के बाद उस व्यक्ति के पास किसी भी तरह का कोई रोजगार नहीं होता है और वह व्यक्ति बेरोजगार हो जाता है।
मौसमी Berojgari मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि कृषि क्षेत्र में फसलों का उत्पादन मौसम के अनुसार ही किया जाता है अतः इस क्षेत्र से जुड़े हुए सभी व्यक्ति को रोजगार भी मौसम के अनुसार ही मिलता है।
Khuli Berojgari किसे कहते हैं?
खुली बेरोजगारी से अभिप्राय एक ऐसी स्थिति से है जब एक व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए इच्छुक होता है, उस कार्य को करने में सक्षम होता है एवं उस कार्य को उस वेतन में भी करना चाहता है जिस वेतन पर वह कार्य उसको मिल सकता है परंतु फिर भी वह किसी प्रकार का कार्य प्राप्त नहीं कर पाता तो इस प्रकार की बेरोजगारी को हम खुली बेरोजगारी कहते हैं।
इस प्रकार की बेरोजगारी में हम यह पता लगा सकते हैं कि वास्तव में कितने ऐसे लोग हैं जो बेरोजगार हैं अथवा कितने ऐसे लोग हैं जो कार्य नहीं कर रहे हैं।
भारत में बेरोजगारी के क्या कारण हैं?
अभी तक हम सब ने यह जान लिया कि किस तरीके से बेरोजगारी की वजह से एक देश को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है एवं बेरोजगारी के वजह से किसी भी देश का आर्थिक विकास भी रुक जाता है तो आइए अब हम देखते हैं कि भारत में बेरोजगारी के मुख्य कारण क्या है:-
धीमा आर्थिक विकास:- वास्तविक विकास दर हमेशा नियोजन के पाँच दशकों में लक्षित दर से नीचे रही। योजनाओं के तहत बनाए गए रोजगार के अवसर श्रम के लिए जोड़ के साथ तालमेल नहीं रख सके।
जनसंख्या विस्फोट:- भारत में जनसंख्या का निरंतर रूप से बढ़ना भी बेरोजगारी का एक मुख्य कारण माना जाता है क्योंकि जनसंख्या के निरंतर रूप से बढ़ने की वजह से अधिक मात्रा में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना काफी मुश्किल हो जाता है।
अविकसित कृषि क्षेत्र:- भारत में निरंतर रूप से जनसंख्या बढ़ने की वजह से इसका सबसे ज्यादा प्रभाव कृषि क्षेत्र में पड़ता है क्योंकि भारत में रहने वाले बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कृषि पर निर्भर पूरी तरीके से है। अतः कृषि पर इसका दबाव पड़ता है और कृषि के क्षेत्र में किसी भी तरीके का आधुनिकरण नहीं किया गया है जिसके वजह से बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ती है।
खराब शिक्षा प्रणाली:- हमारी शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था खराब होने की वजह से भी बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है क्योंकि कई सारे ऐसे छात्र हैं जिन्हें किसी भी तरीके की जानकारी नहीं होती या उनके पास किसी तरीके का skill नहीं होता जिसकी वजह से वह किसी जगह रोजगार पाने में असफल हो जाते हैं।
उद्योगों का धीमा विकास:- हमारे देश में Capital और आधुनिक तकनीक की कमी हो जाने की वजह से हमारे उद्योग क्षेत्र में वृद्धि नहीं हो पा रही है। साथ ही हम उद्योगों की संख्या भी नहीं बढ़ा पा रहे है, जिसकी वजह से हमारे उद्योग क्षेत्र में sufficient रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
छोटे उद्योगों का पतन:- हमारे देश में ग्रामीण इलाकों में कई सारे ऐसे लोग हैं जो छोटे उद्योग के माध्यम से अपने व्यापार को आगे बढ़ाते हैं साथ ही साथ वह छोटे उद्योगों के माध्यम से लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं परंतु धीरे-धीरे आज के समय में छोटे उद्योगों का पतन होता जा रहा है और उन उद्योगों में कार्य करने वाले लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। अतः हम यह कह सकते हैं कि छोटे उद्योगों के पतन की वजह से भी भारत में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
पूंजी निर्माण में कमी:- पूंजी निर्माण की कम दर ने कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में विकास की क्षमता को बाधित किया है जिसके परिणामस्वरूप दोनों क्षेत्रों की रोजगार सृजन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
भारत में बेरोज़गारी को दूर करने के क्या उपाय हैं?
भारत में बेरोजगारी एक बहुत ही बड़ी समस्या है अतः भारत में बेरोजगारी का समाधान करने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं:-
GDP में वृद्धि करना:- अगर हमें भारत में बेरोजगारी की दर को कम करना है तो सबसे पहले हमें भारत की अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में तेजी से वृद्धि करना होगा। अगर हम आर्थिक विकास में वृद्धि करने में सफल रहे तो बेरोजगारी की दर भी हम कम कर पाएंगे।
जनसंख्या नियंत्रण:- बेरोजगारी की दर को कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें सबसे पहले देश में बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करना पड़ेगा । जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए कुछ योजना बनानी पड़ेगी जिसके माध्यम से जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके। जनसंख्या नियंत्रण होने से ही धीरे-धीरे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
कृषि क्षेत्र का विकास करना:- कृषि क्षेत्र के विकास करने पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि हमारे देश की लगभग आधी आबादी कृषि पर निर्भर है। अतः अगर हम कृषि क्षेत्र का विकास करेंगे या कृषि क्षेत्र में आधुनिकरण उपलब्ध कराएंगे तो इसके द्वारा रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे जिससे कि ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की दर में कमी आएगी।
छोटे उद्योगों की संख्या में वृद्धि करना :- ग्रामीण क्षेत्र में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो छोटे उद्योगों के माध्यम से अपनी आजीविका को चलाते हैं और वह लोग छोटे उद्योगों के माध्यम से ही दूसरे लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराते हैं। अतः अगर सरकार के माध्यम से छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा तो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे जिससे कि ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी से संबंधित समस्याओं को कम करने में सहायता मिलेगी।
विशेष रोजगार से संबंधित योजनाएं:- बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए सरकार कुछ ऐसी योजनाओं की शुरुआत कर सकती है जिनका उद्देश्य बेरोजगार व्यक्ति को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना हो।
शिक्षा प्रणाली में सुधार:- सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए और छात्रों को कुछ new skill सिखाना चाहिए साथ ही साथ छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ कुछ ऐसे Skill भी सिखाना चाहिए जिसके माध्यम से वह आगे चलकर रोजगार के अवसर बना सके और दूसरे व्यक्तियों को भी रोजगार प्रदान कर सकें।
सरकार द्वारा बेरोजगारी को दूर करने के लिए उठाए जाने वाले कदम कौन से हैं?
बेरोजगारी किसी भी देश के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या मानी जाती है भारत में भी Berojgari बड़े पैमाने पर फैली हुई है। इसी को मद्देनजर रखते हुए भारतीय सरकार ने भी कई सारे ऐसी योजनाओं की शुरुआत की जिसके माध्यम से लोगों को रोजगार के नए अवसर प्रदान कराए जा सके।
सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कई अभियान है जिनका उद्देश्य सिर्फ यही है कि वह व्यक्ति जो किसी कार्य को करने में सक्षम है एवं किसी कार्य को करने के लिए पूरी तरीके से उपलब्ध हैं उन व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके जिससे कि वह अपनी आजीविका चला सके और देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।
रोजगार के अवसर को प्रदान करने हेतु हूं सरकार द्वारा Employment Generation Programmes को चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत कई सारे योजनाएं हैं जैसे- National Rural Employment Guarantee Act 2005 , Pradhanmantri Rojgar Yojana , Swarna Jayanti Shahari Rozgar Yojana etc. सभी योजनाओं का उद्देश्य सिर्फ यही था कि देश में रहने वाले हर उस व्यक्ति को रोजगार का अवसर प्रदान कराया जा सके जो किसी कार्य को करने में पूरी तरीके से सक्षम है और उस कार्य को करना चाहता है।
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