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भुगतान शेष खाता क्या होता है और ये कितने प्रकार के होते हैं?

1. Balance of payments:

( भुगतान शेष )

भुगतान शेष से अभिप्राय एक देश द्वारा शेष विश्व के साथ किए गए आर्थिक सौदों के विवरण से है।

* आर्थिक सौदों में निम्नलिखित चीजें आती हैं: 

. दृश्य मदें
. अदृश्य मदें
. शेष विश्व में परिसंपत्तियों के स्वामित्व में परिवर्तन से संबंधित सौदे

2. भुगतान शेष खाता:

भुगतान शेष खाते से अभिप्राय कैसे खाते से है जो 1 वर्ष के दौरान एक देश द्वारा शेष विश्व के साथ किए जाने वाले सभी प्रकार के मौद्रिक व्यवहारों को भुगतान शेष खाते में लेखांकन किया जाता है।

* भुगतान शेष खाते में दो प्रकार के खाते होते हैैं: 

. Current account

( चालू खाता)
चालू खाते में मुख्य रूप से दृश्य एवं अदृश्य मदों के आयात एवं निर्यात से जो किसी देश को प्राप्ति होती है या फिर जो भुगतान उसके द्वारा किया जाता है उसको चालू खाते में लेखाअंकित किया जाता है।

. Capital account

( पूंजी खाता)
पूंजी खाते से अभिप्राय ऐसे खाते से हैं जिसमें उन सभी सौदों को लिखा जाता है जो एक देश द्वारा शेष विश्व में उनके निवासियों के परिसंपत्तियों के स्वामित्व में जो परिवर्तन आया होता है उसे हम पूंजी खाते में रिकॉर्ड करते हैं।


4. Balance of payment equilibrium:

( भुगतान शेष संतुलन)

भुगतान संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जब एक देश द्वारा शेष विश्व के साथ किए जाने वाले आर्थिक सौदों से कुल प्राप्ति कुल भुगतान के बराबर होती है तो उस स्थिति को हम भुगतान शेष संतुलन कहते हैं।

* भुगतान शेष संतुलन उस स्थिति को भी कहा जाता है जब चालू खाता तथा पूंजी खाते का + 0 के बराबर होता है ।

* भुगतान शेष आते निम्नलिखित स्थितियां हैं:

. भुगतान शेष आधिक्य:

भुगतान शेष आधिक्य है से अभिप्राय उस स्थिति से है जब एक देश द्वारा  शेष विश्व के साथ किए गए आर्थिक सौदों से है जब कुल प्राप्तियां  कुल भुगतान से ज्यादा होता है तो उस स्थिति को भुगतान शेष आधिक्य कहते हैं।

. भुगतान शेष घाटा:

भुगतान शेष घाटा से अभिप्राय उस स्थिति से हैं जब एक देश द्वारा शेष विश्व के साथ किए गए आर्थिक सौदों से है जब कुल प्राप्तियां 
कुल भुगतान से कम होती है तो उसे भुगतान शेष घाटा कहते हैं।


4. Autonomous and accommodating items:

( स्वायत्त तथा समयोजक मदें)

* स्वायत्त मदें:

स्वायत्त मदों से अभिप्राय उन मदों से है जिन का निर्धारण लाभ को ध्यान में रखकर किया जाता है।

* समयोजक मदें: 
समयोजक मदों से अभिप्राय उन मदों से है जिनका निर्धारण लाभ को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता है।

FORMAT OF BALANCE OF PAYMENTS





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