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उद्योग किसे कहते हैं और उद्योग कितने प्रकार के होते हैं?

 

उद्योग किसे कहते हैं ? 

उद्योग से अभिप्राय एक ऐसी आर्थिक क्रिया से है जो वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है।

 उद्योगों के प्रकार : 

* उद्योग मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: 
. प्राथमिक उद्योग
. द्वितीयक उद्योग
. तृतीय या सेवा उद्योग

* प्राथमिक उद्योग: 
प्राथमिक उद्योग वह उद्योग होते हैं जो मुख्य रूप से अशोधित कच्चे माल का उत्पादन करते हैं जिनके माध्यम से उत्पाद तैयार किए जाते हैं, उन्हें प्राथमिक उद्योग कहते हैं।

. प्राथमिक उद्योग के प्रकार:

प्राथमिक उद्योग मुख्य रूप से दो प्रकार के हैं: 
. जननी को उद्योग
. निष्कर्षण उद्योग

* जननिक उद्योग: 
जननिक उद्योग से अभिप्राय ऐसे उद्योगों से है जो मुख्य रूप से पशु एवं वनस्पतियों की नस्लो  का सुधार करके उन्हें और अधिक उपयोगी बनाते हैं इन उद्योगों में मुख्य रूप से पशुपालन, मुर्गीपालन आदि सम्मिलित किया जाता है।

* निष्कर्षण उद्योग: 
निष्कर्षण उद्योग से अभिप्राय ऐसे उद्योग से है जो मुख्य रूप से पृथ्वी, जल, वायु  से कोई पदार्थ निकालते हैं। जैसे खानो व कुओं से कोयला, लोहा, गैस, तेल आदि निकाला जाता है।

* द्वितीयक उद्योग: 

द्वितीयक उद्योग से अभिप्राय उस Industry(उद्योग)से है जो प्राथमिक उद्योग द्वारा उत्पादित कच्चे माल का प्रयोग करता है और उस कच्चे माल की सहायता से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है उसे द्वितीय उद्योग कहते हैं।

द्वितीय उद्योग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

. निर्माण उद्योग : निर्माणी उद्योग से अभिप्राय ऐसे उद्योग से है जहां पर कच्चे माल को अथवा अर्ध तैयार माल को मानव एवं मशीनों के माध्यम से उपयोगी या तैयार वस्तुओं में बदला जाता है उसे निर्माणी उद्योग कहा जाता है।

* निर्माणी उद्योग मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:

. विश्लेषणात्मक उद्योग : 
विश्लेषणात्मक उद्योग उद्योग है जहां पर एक वस्तु के माध्यम से अनेक वस्तुएं तैयार की जाती हैं उसे हम विश्लेषणात्मक उद्योग कहते हैं। जैसे- कच्चे तेल से पेट्रोल , डीजल गैसोलीन आदि तैयार किया जाता है।

. प्राविधिक उद्योग : 

प्राविधिक उद्योग में वह Industry(उद्योग)आते हैं जिनमें कच्चे माल को विभिन्न प्रक्रिया के माध्यम से निकाला जाता है तथा उन्हें उपयोगी वस्तुओं में तैयार किया जाता है, उसे प्राविधिक उद्योग कहते हैं। जैसे- गन्ने से चीनी तैयार करना।

. समीक्षणी उद्योग : 

समीक्षा में उद्योग  होते हैं जहां पर विभिन्न कच्चे पदार्थों को मिलाकर एक नया उपयोगी पदार्थ तैयार किया जाता है। जैसे- चूना पत्थर ,जिप्सम व कोयले को मिलाकर सीमेंट का निर्माण होता है।

. संयोजक उद्योग: 

संयोजक उद्योग में वह उद्योग आते हैं जो विभिन्न उद्योगों द्वारा निर्मित पुर्जों को जोड़कर नई-नई उपयोगी वस्तुएं बनाते हैं या निर्माण करते हैं जैसे साइकिल , रेडियो , स्कूटर आदि।

. रचनात्मक उद्योग : 

रचनात्मक उद्योग व उद्योग होते हैं जहां पर दूसरे उद्योगों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं का प्रयोग करके कुछ रचनात्मक कार्य किए जाते हैं ।जैसे - सीमेंट, लोहा, ईट, आदि का प्रयोग करके भवन, पुल, सड़क, बांध आदि का निर्माण किया जाता है।


* तृतीय उद्योग या सेवा उद्योग: 

तृतीय उद्योग से अभिप्राय उस उद्योग से है जो मुख्य रूप से सेवाओं का उत्पादन करता है। जैसे यातायात, बैंक, बीमा, विज्ञापन आदि।

* व्यवसाय में उत्पन्न होने वाले कई सारी बाधाओं को सेवा उद्योग के माध्यम से दूर किया जाता है कुछ बाधाएं निम्नलिखित हैं जो व्यवसाय में उत्पन्न होती हैं और जिनका समाधान सेवा उद्योग के माध्यम से निकाला जाता है:

1. वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की समस्या:
इस समस्या को यातायात उद्योग के माध्यम से हटाया जा सकता है

2. पैसों की समस्या: इस समस्या को बैंकिंग उद्योग के माध्यम से दूर किया जा सकता है।

3. जोखिम की बाधा: इस समस्या को बीमा उद्योग के माध्यम से दूर किया जा सकता है।

4. संदेश वाहन की समस्याएं: इस समस्या को विज्ञापन उद्योग के माध्यम से दूर किया जा सकता है।


2. उद्योगों में उत्पादित या तैयार किए जाने वाले माल के प्रकार: 

उद्योग में मुख्य रूप से तीन प्रकार के माल तैयार किए जाते हैं:

* उत्पादक माल या पूंजी कृत माल: 
उत्पादक माल उन वस्तुओं को कहते हैं जिनका उपयोग दूसरे  Industry(उद्योगों)में उत्पादन के लिए किया जाता है। जैसे- मशीनरी, प्लांट आदि।

* उपभोक्ता माल: 
उपभोक्ता माल से उन वस्तुओं से है जिनका उपभोग सीधा उपभोक्ता द्वारा कर लिया जाता है। जैसे- कपड़ा, दवाइयां आदि।

* मध्यवर्ती माल: 
कई सारे उद्योग ऐसे वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिनको दूसरे उद्योग में कई सारे प्रोसेस के माध्यम से नई वस्तुओं में बदला जाता है ऐसी वस्तु को मध्यवर्ती वस्तुएं कहा जाता है। उदाहरण के लिए प्लास्टिक, रबड़ आदि।






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