सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

व्यवसाय किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार के होते हैं?

Business: 

( व्यवसाय)
व्यवसाय से अभिप्राय मुख्य रूप से वस्तुओं के क्रय-विक्रय से संबंधित नहीं है व्यवसाय का मतलब है कि जब कोई व्यवसायिक अपने कंपनी में अथवा फर्म में किसी भी वस्तु का निर्माण करता है तो उस वस्तु के निर्माण से लेकर उस वस्तु को उसके उपयोगकर्ता तक पहुंचाने में जो भी क्रियाएं व्यवसायिक द्वारा की जाती है वह सारी क्रियाएं व्यवसाय के अंतर्गत आती है।

. व्यवसाय में एक व्यवसायिक वस्तुओं का उत्पादन करने के बाद उन वस्तुओं को उसके अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचाने का प्रयास करता है और इन वस्तुओं को उनके उपयोग करता तक पहुंचाने के लिए वह कुछ सेवाओं का प्रयोग करता है जिनके माध्यम से वह वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता पूर्वक पहुंचा सकता है।

. वह सेवाएं निम्नलिखित है:
. परिवहन एवं संदेश वाहन सेवाएं
. बीमा संबंधित सेवाएं
. बैंकिंग संबंधित सेवाएं
. भंडार गृह संबंधित सेवाएं


1. व्यवसाय की परिभाषा: 

व्यवसाय से अभिप्राय एक ऐसी आर्थिक क्रिया से हैं जो मुख्य रूप से निरंतर की जाती है इस क्रियाओं में वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करना तथा वस्तुओं सेवाओं को खरीदना बेचना सम्मिलित होता है। इन सभी क्रियाओं के माध्यम से हर व्यवसाय किया प्रयास करता है कि वह अपने व्यवसाय में अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सके।

. व्यवसाय को एक आर्थिक क्रिया के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसका मुख्य रूप से उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है। हर व्यवसायिक  निरंतर रूप से यह प्रयास करता रहता है कि उसे उसके व्यवसाय में लाभ अवश्य हो क्योंकि यदि किसी व्यवसायिक को उसके व्यवसाय में लाभ नहीं होगा तो उसका व्यवसाय काफी लंबे समय तक नहीं चल पाएगा, इसलिए व्यवसाय को हम आर्थिक क्रिया के रूप में जानते हैं।


* व्यवसाय की विशेषताएं: 

. व्यवसाय एक आर्थिक क्रिया है:

इसका अभिप्राय यह है कि व्यवसाय को एक आर्थिक क्रिया के रूप में जाना जाता है। आर्थिक क्रिया का मतलब होता है वस्तुओं एवं सेवाओं का आदान प्रदान करके धन की प्राप्ति करना अतः व्यवसाय में भी हर व्यवसायिक  यह प्रयास करता है कि वह अपने वस्तुओं का आदान प्रदान करके अथवा उनको बेचकर ज्यादा से ज्यादा लाभ व्यवसाय में अर्जित कर सके जिससे कि वह अपने व्यवसाय को और अच्छे तरीके से चला सके इसलिए हम व्यवसाय को एक आर्थिक क्रिया के रूप में देखते हैं।

. वस्तुओं एवं सेवाओं का आदान प्रदान करना:

व्यवसाय में वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान से अभिप्राय यह है कि किसी भी व्यवसाय में व्यवसायिक द्वारा वस्तुओं का आदान प्रदान करना आवश्यक होता है यदि वह ऐसा नहीं करता है तो हम उससे व्यवसाय के रूप में नहीं देखेंगे। अन्य शब्दों में कहे तो यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु को खरीदता है और उस वस्तु का उपयोग  स्वयं  के लिए करता है तो हम   उसे व्यवसाय के रूप में नहीं देखेंगे। क्योंकि वह वस्तु या सेवा को सिर्फ अपने उपभोग के लिए खरीद रहा है उसका वह आदान-प्रदान नहीं कर रहा है। किसी भी व्यवसाय में कोई भी व्यवसायिक जब किसी वस्तु को खरीदता है तो उसका उद्देश्य यह होता है कि वह इस वस्तु को आगे किसी दूसरे व्यक्ति को बेच कर उस पर लाभ अर्जित करेगा।

. किसी भी व्यावसायिक को अपने व्यवसाय में सभी प्रकार की क्रियाएं निरंतर करनी चाहिए:

इसका अभिप्राय यह है कि किसी भी व्यवसायिक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उसके व्यवसाय में व्यवहारों में निरंतरता होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यवसायिक व्यवसाय करना चाहता है तो उसे निरंतर वस्तुओं को खरीदना वह बेचना चाहिए यह नहीं कि एक बार व्यवहार किसी दूसरे व्यक्ति के साथ किया और फिर उसके बाद  व्यवहार बंद कर दिया और सिर्फ वस्तु का प्रयोग अपने लिए करना शुरू कर दिया यदि कोई ऐसा करता है तो हम उसे व्यवसाय नहीं मानते हैं।

. लाभ का उद्देश्य होता है: 

इसका अभिप्राय यह है कि किसी भी व्यवसाय में किसी भी व्यवसायिक का मुख्य रूप से उद्देश्य होता है लाभ अर्जित करना यदि कोई व्यवसायिक अपने उत्पादों को बेचकर लाभ अर्जित नहीं कर पात है अथवा अपने व्यवसाय में लाभ अर्जित नहीं कर पाता है तो वह अपने व्यवसाय को लंबे समय तक नहीं चला पाएगा । किसी भी व्यवसाय को अच्छे से चलाने के लिए लाभ अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हानि होने से कोई भी व्यवसाय समाप्त हो जाएगा और वह ज्यादा दिनों तक भी नहीं चल पाएगा।

. उपभोक्ताओं को संतुष्टि प्रदान करना: 

किसी भी व्यावसायिक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है कि वह अपने उत्पाद के संबंध में उपभोक्ताओं को संतुष्टि प्रदान करवाए। यदि कोई उपभोक्ता उसके किसी वस्तु या उत्पाद को खरीदता है , तो वह पूरी तरीके से संतुष्ट होना चाहिए यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो उस व्यवसायिक के समक्ष कई सारी समस्याएं आ सकती हैं।
बिना उपभोक्ताओं को संतुष्टि प्रदान किए कोई  भी व्यवसायिक लाभ अर्जित नहीं कर पाता है, यदि किसी व्यवसायिक को लाभ अर्जित करना है तो उसे अपने वस्तुओं को ज्यादा से ज्यादा बेचना पड़ेगा। ऐसा तभी हो पाएगा जब वह उपभोक्ताओं को अपने उत्पाद की तरफ आकर्षित करेगा एवं वह अपने उत्पाद के माध्यम से उपभोक्ताओं को पूरी तरीके से संतुष्ट प्रदान कर पाएगा।


* व्यवसाय के उद्देश्य: 

व्यवसाय के उद्देश्य निम्नलिखित है:

. लाभ अर्जित करना
. ग्राहकों को इकट्ठा करना है या उनका सृजन करना।
. नव- परिवर्तन करना
. समाज में रहने वाले लोगों को उच्च किस्म की वस्तुओं को उचित मूल्य पर देना
. समाज के विकास में किसी न किसी तरीके से अपना योगदान देना।
. जो व्यक्ति किसी व्यवसाय के व्यवसाय में निवेश करते हैं उनको उनका उचित लाभ उपलब्ध करवाना।
. समाज में रहने वाले लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध करवाना।

2. पेशे की परिभाषा:

पेशे से अभिप्राय एक ऐसी आर्थिक क्रिया से है जो मुख्य रूप से करने के लिए किसी व्यक्ति के पास  एक विशेष ज्ञान एवं कुशलता होती है जिसके माध्यम से वह समाज में रहने वाले सभी व्यक्तियों को निष्पक्ष रूप से सेवाएं प्रदान करता है।

* पेशे की विशेषताएं:

. विशिष्ट विज्ञान एवं तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है।
. प्रशिक्षण की भी आवश्यकता होती है।
. जिस पेशे में है उसका अनुभव भी प्राप्त होना चाहिए।
. संघ का निर्माण होना चाहिए जो पेशे के लिए मुख्य रूप से हो।

3. रोजगार की परिभाषा:

रोजगार का अभिप्राय एक ऐसी आर्थिक क्रिया से है जिसमें एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपनी सेवाएं प्रदान करता है और उन सेवाओं के फलस्वरूप वह उस व्यक्ति से पारिश्रमिक प्राप्त करता है।

* रोजगार की विशेषताएं: 

. दूसरों को सेवाएं प्रदान करना
. इस प्रकार की क्रिया के लिए किसी भी प्रकार के पूंजी की आवश्यकता नहीं होती।
. इस प्रकार की क्रिया में लगे व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना पड़ता है।
. इस क्रिया में लगे हुए सभी व्यक्ति अपने स्वामी के लिए एक नौकर के रूप में कार्य करते हैं।

4. Human activities:

( मानवीय क्रियाएं) 

मानवीय क्रियाएं वह क्रियाएं होती है जो किसी मनुष्य द्वारा अपनी और संस्थाओं को संतुष्टि प्रदान करने के लिए की जाती है उन्हें हम मानवीय क्रियाएं कहते हैं।
. मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्टि दो तरीके से प्राप्त हो सकती है या तो संतुष्टि धन से प्राप्त हो सकती है या फिर और संतुष्टि मानसिक शांति के माध्यम से प्राप्त हो सकती है।

* मानवीय क्रियाएं दो प्रकार की है: 

. आर्थिक क्रियाएं: ( economic activities) 

आर्थिक क्रियाएं व क्रियाएं होती हैं जो मुख्य रूप से धन प्राप्ति करने के लिए ही कि जाती है इन क्रियाओं का उद्देश्य केवल धन प्राप्त करना होता है।

* प्रतिक्रिया में निम्नलिखित कार्य आते हैं:
. व्यवसाय
. पेशा
. रोजगार

. अनार्थिक क्रियाएं:( non economic activities)
 
इसका अभिप्राय उन सभी क्रियाओं से है जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से मानसिक संतुष्टि प्राप्त करना होता है इसमें निम्नलिखित कार्य आते हैं: 
. देश की सेवा से संबंधित कार्य
. सामाजिक सेवा से संबंधित कार्य आदि।








टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Samta Ansh kise kehte hai - समता अंश किसे कहते हैं

समता अंश:-  समता अंश से अभिप्राय उन अंशों से है जो वार्षिक लाभांश के भुगतान व समापन के समय पूंजी की वापसी में किसी  तरह की पहल का अधिकार नहीं रखते। जो पूंजी अंशो को निर्गमित करके एकत्रित की जाती है उसे अंश पूंजी कहते हैं।  प्रत्येक कंपनी के पार्षद सीमानियम में अंश निर्गमित करके प्राप्त की जाने वाली पूंजी की अधिकतम राशि की जानकारी दी जाती है जिसे हम रजिस्टर्ड पूंजी के नाम से जानते हैं। कंपनी की जो रजिस्टर्ड पूंजी होती है उसको छोटी- छोटी इकाइयों में बांट दिया जाता है। रजिस्टर्ड पूंजी कि यही छोटी इकाइयों को हम अंश कहते हैं। समता अंश को निर्गमित करके एकत्रित की गई पूंजी को समता अंश पूंजी कहते हैं। इसके बिना हम किसी भी कंपनी की कल्पना नहीं कर सकते हैं। कंपनी जिन भी निवेशकों को समता अंश  जारी करती है उन सभी निवेशकों को समता अंशधारी कहते हैं। समता अंशधारी ही किसी भी कंपनी के वास्तविक स्वामी होते हैं। समता अंशो के लाभ:-  समता अंश के माध्यम से विनियोजको एवं कंपनी दोनों को ही लाभ प्राप्त होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:- समता अंश द्वारा विनियोजको  को लाभ:-  प्रबंधकीय क्रियाओं में हिस्सेदारी:-

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों को समझाइए

वैश्वीकरण बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने निर्णय के दुनिया की एक क्षेत्र में कार्यान्वित करते हैं, जो दुनिया के दूरवर्ती क्षेत्र में व्यक्तियों के व्यवहार के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्मरणीय बिंदु:- एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व 'प्रवाह'   है। प्रवाह कई प्रकार के होते हैं जैसे- वस्तुओं, पूंजी, श्रम और विचारों का विश्व के एक हिस्से से दूसरे अन्य हिस्से में मुक्त प्रवाह। वैश्वीकरण को भूमंडलीकरण भी कहते हैं और यह एक बहुआयामी अवधारणा है। यह ना तो केवल आर्थिक परिघटना है और ना ही सिर्फ सांस्कृतिक या राजनीतिक परिघटना। वैश्वीकरण के कारण:-  उन्नत प्रौद्योगिकी एवं विश्वव्यापी पारंपरिक जुड़ाव जिस कारण आज विश्व एक वैश्विक ग्राम बन गया है। टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इंटरनेट एवं अन्य सूचना तकनीकी साधनों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है। पर्यावरण की वैश्विक समस्याओं जैसे- सुनामी, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ताप वृद्धि से निपटने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग। वैश्वीकरण की विशेषताएं:- पूंजी, श्रम, वस्तु एवं विचारों का गतिशी

थोक व्यापार क्या होता है व्यावसायिक अध्ययन में

" थोक व्यापार उत्पादको एवं फुटकर व्यापारियों की दूरी को समाप्त करता है। " थोक व्यापार का अर्थ:- थोक व्यापार से अभिप्राय एक ऐसे व्यापार से जिसके अंतर्गत वस्तुओं अथवा सेवाओं को बड़ी मात्रा में उत्पादको से क्रय करके फुटकर क्रेताओं को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बेचा जाता है। इसी व्यापार को करने वाले व्यापारियों को हम थोक व्यापारी कहते हैं। थोक व्यापारी मुख्यत: एक ही प्रकार की वस्तु में व्यापार करते हैं। थोक व्यापार की विशेषताएं:- थोक व्यापारी वस्तुओं को बड़ी मात्रा में खरीदता है। वह कुछ विशेष वस्तुओं में ही व्यापार करता है। वह वस्तुओं को फुटकर व्यापारियों को बेचता है। वह प्राय: क्रय नगद और विक्रय उधार करता है। वह उत्पादक अथवा निर्माता व फुटकर व्यापारी के मध्य संबंध स्थापित करने के लिए इस कड़ी के रूप में कार्य करता है। वस्तुओं के वितरण के लिए थोक व्यापारियों के पास बहुत से एजेंट तथा दलाल होते हैं। थोक व्यापार के लिए अपेक्षाकृत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। थोक व्यापारी वस्तुओं का विक्रय बढ़ाने के लिए विज्ञापन के आधुनिक तरीकों को अपनाते हैं। वह अपने माल का स्टॉप दुकान में ना रख कर