सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मांग का मतलब क्या होता है ?

1. मांग किसे कहते हैं ?

मांग  से अभिप्राय किसी वस्तु की उच्च मात्रा से है जिसे एक उपभोक्ता किसी निश्चित कीमत एवं निश्चित समय पर खरीदने के लिए तैयार होता है उसे उस वस्तु की मांग कहा जाता है।

* बाजार मांग ( market demand) :

बाजार मांग से अभिप्राय यह है कि जब कीमत के निश्चित स्तर पर किसी बाजार में सभी उपभोक्ताओं द्वारा वस्तु की खरीदी गई मात्राओं का योग बाजार मांग कहलाता है।
*  मांग फलन ( demand function): 

 मांग फलन से अभिप्राय किसी वस्तु की मांग तथा उसे प्रभावित करने वाले कारकों के मध्य फलनात्मक संबंध से हैं।

* मांग अनुसूची ( demand schedule)

मांग अनुसूची से अभिप्राय किसी वस्तु की कीमत तथा मांग के संबंध से है जो तालिका के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है उसे मांग अनुसूची कहते हैं।

* मांग में परिवर्तन ( change in demand)

मांग में परिवर्तन से अभिप्राय यह है कि जब कीमत समान रहने पर किसी अन्य कारक में होने वाले परिवर्तन की वजह से जब किसी वस्तु की मांग घट या बढ़ जाती है तो उसे मांग में परिवर्तन कहा जाता है।

* मांग की मात्रा में परिवर्तन ( change in demand quantity)

मांग में परिवर्तन से उस स्थिति से है जब किसी वस्तु की अपनी कीमत में परिवर्तन होने की वजह से जब वस्तु की मांग में भी परिवर्तन होता है तो उस स्थिति को हम मांग की मात्रा में होने वाले परिवर्तन से जानते हैं।

* मांग वक्र ( demand curve) 

Demand curve( मांग वक्र) से अभिप्राय उस वक्त से हैं जो मांग अनुसूची उस वक्र से है जो मांग अनुसूची का रेखा चित्र के द्वारा प्रस्तुत  करता है उसे Demand curve (मांग वक्र) कहा जाता है। मांग वक्र का ढलान ऋणात्मक होता है जो वस्तु की कीमत और उसकी मांग के बीच संबंध को दर्शाता है।

2. मांग का नियम ( law of demand)

मांग का नियम यह बताता है कि अन्य बातें समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो उसकी मांग घट जाती है और उस वस्तु की कीमत में कमी होने की वजह से उसकी मांग बढ़ जाती है अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि कीमत तथा मात्रा में ऋणात्मक संबंध होता है।


* मांग के निर्धारक तत्व : 

* वस्तु की कीमत
* उपभोक्ता की आय
* संबंधित वस्तुओं की कीमत
* उपभोक्ता की रूचि प्राथमिकता
* भविष्य में कीमत बर्तन होने की संभावना 





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Samta Ansh kise kehte hai - समता अंश किसे कहते हैं

समता अंश:-  समता अंश से अभिप्राय उन अंशों से है जो वार्षिक लाभांश के भुगतान व समापन के समय पूंजी की वापसी में किसी  तरह की पहल का अधिकार नहीं रखते। जो पूंजी अंशो को निर्गमित करके एकत्रित की जाती है उसे अंश पूंजी कहते हैं।  प्रत्येक कंपनी के पार्षद सीमानियम में अंश निर्गमित करके प्राप्त की जाने वाली पूंजी की अधिकतम राशि की जानकारी दी जाती है जिसे हम रजिस्टर्ड पूंजी के नाम से जानते हैं। कंपनी की जो रजिस्टर्ड पूंजी होती है उसको छोटी- छोटी इकाइयों में बांट दिया जाता है। रजिस्टर्ड पूंजी कि यही छोटी इकाइयों को हम अंश कहते हैं। समता अंश को निर्गमित करके एकत्रित की गई पूंजी को समता अंश पूंजी कहते हैं। इसके बिना हम किसी भी कंपनी की कल्पना नहीं कर सकते हैं। कंपनी जिन भी निवेशकों को समता अंश  जारी करती है उन सभी निवेशकों को समता अंशधारी कहते हैं। समता अंशधारी ही किसी भी कंपनी के वास्तविक स्वामी होते हैं। समता अंशो के लाभ:-  समता अंश के माध्यम से विनियोजको एवं कंपनी दोनों को ही लाभ प्राप्त होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:- समता अंश द्वारा विनियोजको  को लाभ:-  प्रबंधकीय क्रियाओं में हिस्सेदारी:-

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों को समझाइए

वैश्वीकरण बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने निर्णय के दुनिया की एक क्षेत्र में कार्यान्वित करते हैं, जो दुनिया के दूरवर्ती क्षेत्र में व्यक्तियों के व्यवहार के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्मरणीय बिंदु:- एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व 'प्रवाह'   है। प्रवाह कई प्रकार के होते हैं जैसे- वस्तुओं, पूंजी, श्रम और विचारों का विश्व के एक हिस्से से दूसरे अन्य हिस्से में मुक्त प्रवाह। वैश्वीकरण को भूमंडलीकरण भी कहते हैं और यह एक बहुआयामी अवधारणा है। यह ना तो केवल आर्थिक परिघटना है और ना ही सिर्फ सांस्कृतिक या राजनीतिक परिघटना। वैश्वीकरण के कारण:-  उन्नत प्रौद्योगिकी एवं विश्वव्यापी पारंपरिक जुड़ाव जिस कारण आज विश्व एक वैश्विक ग्राम बन गया है। टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इंटरनेट एवं अन्य सूचना तकनीकी साधनों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है। पर्यावरण की वैश्विक समस्याओं जैसे- सुनामी, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ताप वृद्धि से निपटने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग। वैश्वीकरण की विशेषताएं:- पूंजी, श्रम, वस्तु एवं विचारों का गतिशी

थोक व्यापार क्या होता है व्यावसायिक अध्ययन में

" थोक व्यापार उत्पादको एवं फुटकर व्यापारियों की दूरी को समाप्त करता है। " थोक व्यापार का अर्थ:- थोक व्यापार से अभिप्राय एक ऐसे व्यापार से जिसके अंतर्गत वस्तुओं अथवा सेवाओं को बड़ी मात्रा में उत्पादको से क्रय करके फुटकर क्रेताओं को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बेचा जाता है। इसी व्यापार को करने वाले व्यापारियों को हम थोक व्यापारी कहते हैं। थोक व्यापारी मुख्यत: एक ही प्रकार की वस्तु में व्यापार करते हैं। थोक व्यापार की विशेषताएं:- थोक व्यापारी वस्तुओं को बड़ी मात्रा में खरीदता है। वह कुछ विशेष वस्तुओं में ही व्यापार करता है। वह वस्तुओं को फुटकर व्यापारियों को बेचता है। वह प्राय: क्रय नगद और विक्रय उधार करता है। वह उत्पादक अथवा निर्माता व फुटकर व्यापारी के मध्य संबंध स्थापित करने के लिए इस कड़ी के रूप में कार्य करता है। वस्तुओं के वितरण के लिए थोक व्यापारियों के पास बहुत से एजेंट तथा दलाल होते हैं। थोक व्यापार के लिए अपेक्षाकृत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। थोक व्यापारी वस्तुओं का विक्रय बढ़ाने के लिए विज्ञापन के आधुनिक तरीकों को अपनाते हैं। वह अपने माल का स्टॉप दुकान में ना रख कर